The Definitive Guide to hanuman chalisa
The Definitive Guide to hanuman chalisa
Blog Article
You're golden coloured; you're shining inside your attractive apparel. You've beautiful earrings as part of your ear and curly hair.
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा ।
भावार्थ – आपने वानर राज सुग्रीव का महान् उपकार किया तथा उन्हें भगवान् श्री राम से मिलाकर [बालि वध के उपरान्त] राजपद प्राप्त करा दिया।
Hanuman Chalisa is a timeless ode to devotion Lord Hanuman is known for his devotion to Lord Ram and is also looked upon as the embodiment of religion, surrender, and devotion.
व्याख्या – रोग के नाश के लिये बहुत से साधन एवं औषधियाँ हैं। यहाँ रोग का मुख्य तात्पर्य भवरोग से तथा पीड़ा का तीनों तापों (दैहिक, दैविक, भौतिक) से है जिसका शमन श्री हनुमान जी के स्मरण मात्र से होता है। श्री हनुमान जी के स्मरण से निरोगता तथा निर्द्वन्द्वता प्राप्त होती है।
गोस्वामी तुलसीदास की श्री हनुमान जी से भेंट: सत्य कथा
Note: If you’re viewing this page in a Desktop Pc, mouse-hover on Every word to see the this means of it; Should you’re with a cell/tablet system, faucet on each phrase to begin to see the that means of it.
भावार्थ – वीर हनुमान जी का निरन्तर जप करने से वे रोगों का नाश करते हैं तथा सभी पीड़ाओं का हरण करते हैं।
आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द: भजन
बुद्धिहीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते hanuman chalisa ॥१५॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
भावार्थ– जो व्यक्ति इस हनुमान चालीसा का पाठ करेगा उसे निश्चित रूप से सिद्धियों [लौकिक एवं पारलौकिक] की प्राप्ति होगी, भगवान शंकर इसके स्वयं साक्षी हैं।
व्याख्या – किसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये सर्वप्रथम उसके गुणों का वर्णन करना चाहिये। अतः यहाँ हनुमान जी के गुणों का वर्णन है। श्री हनुमन्तलाल जी त्याग, दया, विद्या, दान तथा युद्ध – इन पाँच प्रकार के वीरतापूर्ण कार्यों में विशिष्ट स्थान रखते हैं, इस कारण ये महावीर हैं। अत्यन्त पराक्रमी और अजेय होने के कारण आप विक्रम और बजरंगी हैं। प्राणिमात्र के परम हितैषी होने के कारण उन्हें विपत्ति से बचाने के लिये उनकी कुमति को दूर करते हैं तथा जो सुमति हैं, उनके आप सहायक हैं।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥ ॥दोहा॥ पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।